120 Bahadur Movie Review - Bollywood Box Office Collection 2025 | Movie Collection Review
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| 120 Bahadur Movie |
Budget -
Star Cast
- Farhan Akhtar as Major Shaitan Singh Bhati.
- Raashii Khanna as Shagun Kanwar, Major Shaitan Singh's wife.
- Vivan Bhatena as Jemadar Surja Ram.
- Ankit Siwach as Ramlal.
- Dhanveer Singh as Jemadar Hariram Singh.
- Sahib Verma as Nanha.
- Sparsh Walia as Ramchander Yadav, radio operator.
- Ajinkya Deo as Brigadier T.N. Dhingra.
- Eijaz Khan as Lt Col H.N. Dhingra.
- Amitabh Bachchan as Narrator (voice role).
- Director: Razneesh Ghai.
- Producers: Farhan Akhtar, Ritesh Sidhwani, and Amit Chandra, under the banners of Excel Entertainment and Trigger Happy Studios.
- Release Date: The film was theatrically released on November 21, 2025.
- Storyline: The movie recounts the valor of 120 soldiers of the Indian Army's 13 Kumaon Regiment who made a legendary last stand against a 3000-strong Chinese contingent during the 1962 Sino-Indian War.
‘120 बहादुर’ रिव्यू: 120 जांबाजों की वो गाथा, जिसे सिनेमा ने बहुत देर से पहचाना
“कर चले हम फ़िदा…” — 1964 की ‘हकीकत’ का ये अमर गीत सिर्फ धुन नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों की शहादत का जीवंत इतिहास है। हिंदी सिनेमा की वॉर-फिल्म परंपरा वर्षों से दर्शकों को देशभक्ति, त्याग और मानवीय भावनाओं का मिश्रण देती आई है। ‘हिंदुस्तान की कसम’, ‘बॉर्डर’, ‘एलओसी कारगिल’, ‘लक्ष्य’, ‘उरी’ और ‘शेरशाह’ जैसी फिल्मों ने सरहद के उस सच को छुआ जिसे आम लोग सिर्फ सुर्खियों में पढ़ पाते हैं।
इसी परंपरा में अब निर्देशक रजनीश रेजी घई की फिल्म ‘120 बहादुर’ जुड़ती है—एक ऐसी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म, जिस पर देश आज तक फिल्म नहीं बना पाया था। वो घटना जो इतिहास में दर्ज तो है, लेकिन सिनेमा की रीलों में कहीं खोई हुई थी।
कहानी — 120 बनाम 3000 का असंभव-सा युद्ध
फिल्म का केंद्र हैं मेजर शैतान सिंह भाटी (फरहान अख्तर) — वह योद्धा जिसने 1962 में रेजांगला पोस्ट को छोड़े बिना अपने 120 जवानों के साथ 3000 चीनी सैनिकों से मुकाबला किया।
कहानी की शुरुआत होती है घायल रेडियो ऑपरेटर रामचंद्र यादव (स्पर्श वालिया) से, जिसकी टूटी हुई सांसों में छुपी दास्तान ही फिल्म की रीढ़ बनती है। उसकी जुबानी हम उस युद्ध को देखते हैं, जिसने भारतीय इतिहास में साहस का सबसे ऊँचा पर्व लिखा।
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चीन की नजर चुशूल और कश्मीर तक पहुंचने पर है
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13वीं कुमाऊं रेजिमेंट की पूरी कंपनी अहीर समुदाय के जवानों से बनी है
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मौसम शून्य से 24 डिग्री नीचे
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हथियार सीमित
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सैनिक गिनती में सिर्फ 120
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और सामने दुश्मन का ‘असंभव’ जैसा 3000 सैनिकों का दस्ता
शैतान सिंह अपनी दूरदृष्टि से चीनी रणनीति को भांप लेते हैं और जानते हैं कि खराब मौसम में हमला तय है। बदलते आसमान के नीचे ये लड़ाई इंसानी जज्बे के ऊपर लिखी जा रही है—जहां हर सैनिक अपने घर, अपने बच्चों, अपनी यादों की आखिरी गर्मी दिल में लिए खड़ा है।
फिल्म का ट्रीटमेंट — पहला हाफ धीमा, दूसरा हाफ दिल दहला देने वाला
पहला हाफ
यहां फिल्म सैनिकों की पर्सनल जिंदगी, उनकी पारिवारिक जड़ों और यादों को जोड़ती है।
हाँ, कुछ दृश्य ‘पहले देखी हुई वॉर फिल्मों’ की तरह लगते हैं — यही वजह है कि ये हिस्सा थोड़ा धीमा और भावनात्मक तौर पर उतना प्रभावशाली नहीं हो पाता।
दूसरा हाफ
यहीं फिल्म अपनी असली शक्ति दिखाती है।
बर्फ जमी है, सांसें जमती हैं, हथियार कम हैं पर हिम्मत असंभव से भी ज्यादा मजबूत।
यहां बैकग्राउंड स्कोर आपका सीना चौड़ा करता है और सिनेमैटोग्राफी आपको लद्दाख की कठोर ऊंचाइयों पर खड़ा कर देती है।
युद्ध के दृश्य:
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रियल लोकेशन पर शूट
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शानदार लाइटिंग, रॉनेस और सिनेमैटिक फ्रेमिंग
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गोलियों की गूंज के पीछे छुपी शांति
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और वह दृश्य जहां एक-एक कर सैनिक गिरते जाते हैं…
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अंत में शैतान सिंह का बैठकर अंतिम सांसों तक लड़ना — फिल्म का सबसे ताकतवर पल है।
अभिनय — फरहान अख्तर छा गए, लेकिन…
फरहान अख्तर ने भूमिका में अपनी पूरी सच्चाई झोंक दी।
उनकी बॉडी लैंग्वेज, करेज और इन्टेंसिटी कमाल है।
बस एक कमी—डायलॉग डिलीवरी थोड़ी और देसी फील ले सकती थी।
स्पर्श वालिया (रेडियो ऑपरेटर) सीन्स चोरी कर ले जाते हैं।
विवान भटेना, राशि खन्ना, एजाज खान, अंकित सिवाच, दिग्विजय प्रताप—सभी ने मिलकर पूरी कंपनी की भावनाओं का बैलेंस बनाए रखा है।
संगीत और तकनीकी पक्ष
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अमित त्रिवेदी का ‘याद आते हैं’ दिल छू जाता है
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अमजद नदीम–आमिर का बैकग्राउंड स्कोर युद्ध की ग्रैविटी को उठाता है
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तेत्सुओ नागाटा की सिनेमैटोग्राफी लद्दाख की खूबसूरती और बेरहम ठंड दोनों को बराबरी से कैद करती है
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2 घंटे 17 मिनट का रनटाइम बिल्कुल सही लगता है
अंतिम फैसला: ‘120 बहादुर’ क्यों देखें?
यह फिल्म सिर्फ एक युद्ध नहीं—
साहस, बलिदान, जज्बे और देशभक्ति की वो सच्ची गाथा है, जिसकी पहचान पाना बाकी था।
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इतिहास को जानने के लिए
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युद्ध की कठोर सच्चाई को महसूस करने के लिए
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और उन 120 अहीर जवानों को सम्मान देने के लिए
आपको यह फिल्म देखनी चाहिए।
फिल्म भावनात्मक स्तर पर और गहरी हो सकती थी,
लेकिन रियलिज़्म, युद्ध की मार्मिकता और शैतान सिंह की विरासत को जैसे पेश किया गया है—
वह बेहद प्रभावशाली है।

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